इस मन के ऐसे भाग कई
है प्रश्न, कहानी, राज़ कई
ये मन में हर दिन भगते है
सुख चैन को मेरे ठगते है
हर रोज़ इन्हे मैं सेहता हू
बस सोच-सोच में रहता हू
की यू होता तो क्या होता
जो ना होता तो क्या होता?
निष्कर्ष न उत्तर पाता हू
बस प्रश्न बनाता जाता हू
इस मन के ऐसे भाग कई
है प्रश्न, कहानी, राज़ कई
ये मन में हर दिन भगते है
सुख चैन को मेरे ठगते है
हर रोज़ इन्हे मैं सेहता हू
बस सोच-सोच में रहता हू
की यू होता तो क्या होता
जो ना होता तो क्या होता?
निष्कर्ष न उत्तर पाता हू
बस प्रश्न बनाता जाता हू