Wednesday

#23

हो इच्छा या ख्वाब, या प्रश्न बेहिसाब,
इस दुनिया का दबाव, या मन का तनाव,
कल्पना-हकीकत, छल-कपट,
सब कुछ देखना चाहता हूँ
मैं फिरसे लिखना चाहता हूँ।

जो समझाया सबने, जो सोच से आया,
जो खोया नशे में, जो साकी से पाया,
दोस्ती के किस्से, या अनजान से मुलाकात,
मैं हर इक बात बतलाना चाहता हूँ,
मैं फिरसे लिखना चाहता हूँ।

कुछ बातें सरल सी जो जीना सिखा गयी,
और मेहनत क्षणों की, समझ जिससे आ गयी,
'वो नोटों की लालच और सिक्को मे भिक्षा',
वो हार से मिलता साहस, और ग़रूर जीत का,
मैं हर अनुभव को साझा करना चाहता हूँ,
मैं फिरसे लिखना चाहता हूँ।

इस राजनीतिक विचारधारा का रंग समझना चाहता हूँ,
'लेफ्ट, राइट, सेंटर' हर ढंग समझना चाहता हूँ,
जो अज्ञानता में ख़ुशी को था खोजता
आज निष्पक्ष्ता से अपनी बात रखना चाहता हूँ,
मैं फिरसे लिखना चाहता हूँ।

ये अंधी दौड़ जो रुक अब गयी है,
सफलता की होड़, अब ठप हो गयी है
एकांत मन है, सवालों से भरता,
उन सारे उपेक्षित खयालो से भरता,
इन सवालो के जवाब और खयालो की समझ रखना चाहता हूँ,
मैं फिरसे लिखना चाहता हूँ।

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