वो तेरे जो सवाल थे
अब भी वो सवाल है
और इन सवालो के जो तू
जवाब ढूंढने चला
अब भी वो सवाल है
और इन सवालो के जो तू
जवाब ढूंढने चला
जो जलता इक चिराग है
तो मिटता अंधकार है
की तेज़ सागरो के पीछे
बूंदो का कमाल है
जो जलती है लकड़ अगर
तो बचती केवल राख है
पर राख का कमाल देख
किसान की वो खाद है
तू सोच जन्नतों की रख
पर नर्क को ना भूल तू
की पुण्य जो तेरे लिए
किसी और का वो पाप है
ये सृष्टि से तू सीख अब
समरूपता की बात है
की अर्ध जो उजाल है
तो अर्ध अंधकार है
की सच को ढूंढ़ता अगर
तो झूट को भी साथ रख
जो सत्य इतना ख़ास है
तो असत्य में भी राज़ है
है तेरे ये सवाल है
इन सवालो के जवाब है
की तेज़ सागरो के पीछे
बूंदो का कमाल है
जो जलती है लकड़ अगर
तो बचती केवल राख है
पर राख का कमाल देख
किसान की वो खाद है
तू सोच जन्नतों की रख
पर नर्क को ना भूल तू
की पुण्य जो तेरे लिए
किसी और का वो पाप है
ये सृष्टि से तू सीख अब
समरूपता की बात है
की अर्ध जो उजाल है
तो अर्ध अंधकार है
की सच को ढूंढ़ता अगर
तो झूट को भी साथ रख
जो सत्य इतना ख़ास है
तो असत्य में भी राज़ है
है तेरे ये सवाल है
इन सवालो के जवाब है
No comments:
Post a Comment